
तेईस साल की राखी पालीवाल राजस्थान के राजसमंद जिले में उपली-ओदेन पंचायत की उप-प्रमुख हैं। वह एकमात्र चुनी हुई महिला सदस्य हैं, जो बाइक चलाती हैं। सुबह चार बजे उठकर खुले में शौच के खिलाफ महिलाओं को सलाह देती हैं। दिन में लॉ स्कूल जाती हैं और स्मार्टफोन से फेसबुक अपडेट करती हैं। बीते मार्च में हम एक रेड रिक्शा रेवेल्यूशन नाम के एक सफर पर निकले हुए थे, जिसका मकसद उन साधारण महिलाओं को पहचान करना था, जो असाधारण काम कर रही हैं। जब हम राजस्थान में कुंभालगढ़ से गुजर रहे थे, तब मजदूर किसान शक्ति संगठन से जुड़े पारस राम पूछा कि क्या आप पालीवाल से मिलेंगे? एक तय जगह पर सुबह नौ बजे हमारी उनसे मुलाकात हुई। वह अपनी हीरो होंडा बाइक से आईं। जब उन्होंने पंचायत चुनाव लड़ने का फैसला किया, तो परिवार व समाज ने पहले उनका बहिष्कार किया। पर वह अड़ी रहीं और अपना रास्ता बनाया। वह कहती हैं, ‘मेरा दृढ़ विश्वास है कि ईमानदार राजनीति के जरिये ही कोई जनता की सेवा कर सकता है।’ उन्होंने वायदा किया है कि इस साल के अंत तक 50 फीसदी से ज्यादा घरों को शौचालय मिल जाएगा। उन्हें एक स्थानीय कॉरपोरेट स्पॉन्सर भी मिला है, जो सार्वजनिक शौचालय बना रहा है। वह कहती हैं, ‘यह विडंबना है कि हमारी महिलाएं पर्दा भी करती हैं और खुले में शौच भी जाती हैं।’ सुबह आठ बजे राखी कानून की पढ़ाई के लिए उदयपुर रवाना होती हैं, जो 50 किलोमीटर दूर है। दिन के दो बजे वह लौटती हैं। फिर जरूरी काम निपटाती हैं। वह फेसबुक पर भी सक्रिय हैं। फेसबुक पर उनके 259 मित्र हैं और गांव में पौधे लगाने की पहल पर उनका अपडेट था। उसके पास डबल सिम वाला मोबाइल फोन है।
पूरे देश में 10 लाख महिला पंचायत सदस्य हैं। इनमें पालीवाल विशिष्ट हैं, वह एक साफ संदेश देती हैं कि डिजिटल सुविधाओं के जरिये महिलाएं जमीनी स्तर पर नेतृत्व कर सकती हैं। फिलहाल 28 लाख पंचायत सदस्यों में 10 लाख, यानी लगभग 37 फीसदी महिलाएं हैं। वैसे अधिकतर महिला सदस्य अनुसूचित जाति व जनजाति से हैं। इनमें 25 फीसदी से अधिक निरक्षर हैं और आधे से अधिक मिडिल स्कूल तक पढ़ी हुईं। वे बातचीत के साधन के तौर पर मोबाइल फोन रखती हैं, जो उन्हें सशक्त बनाता है। वैसे सरकारी जिम्मेदारियों से जुड़े हजारों उद्देश्य मोबाइल फोन से पूरे हो सकते हैं। पंचायती राज व्यवस्था को चाहिए कि वह महिला सदस्यों के लिए एक विशेष सत्र की शुरुआत करे, जिसमें उन्हें मोबाइल फोन के बेहतर व कल्याणकारी इस्तेमाल के गुर सिखाए जा सकें। मोबाइल कम्युनिटी का गठन भी जरूरी है, जिससे महिला सदस्य कामों की निगरानी करेंगी। पालीवाल जैसी सदस्य ऑनलाइन कम्युनिटी के गठन में बेहतर मार्गदर्शन कर सकती हैं।
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