नए युग में ‘डिजिटल इंडिया कैंपेन’ से काफी उम्मीदें

ठीक एक दशक पहले भारत में अगर लोगों को अपने विधायक या सांसद से मिलना होता था तो उन्हें कम से कम पांच साल यानी अगले चुनाव का इंतजार करना होता था। लेकिन, शुक्र है इंटरनेट और तकनीक का, जिसकी वजह से जनता और नेता की दूरी ही नहीं घटी, बल्कि जब चाहें उनसे संवाद भी…

मंगलयान की सफलता से सोशल मीडिया मंगलमय

भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतिहास रचते हुए अपने मंगल मिशन को जिस तरह सफलतापूर्वक अंजाम दिया है यकीनन वो भारत के वैज्ञानिक इतिहास की सबसे बड़ी कामयाबी है। इसका सौ फीसदी श्रेय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के वैज्ञानिकों को जाता है, जिन्होंने अपने कौशल से ये इतिहास रचा है। बुधवार (24 सितंबर 2014)…

घाटी में गूंजती एक उम्मीद की आवाज़

नमस्कार, ये रेडियो कश्मीर है और आप शंकराचार्य की पहाड़ी से खबरें सुन रहे हैं। इंदिरा नगर में लोग वहां सुरक्षित जगहों पर पहुंचाए जा चुके हैं… जी हां, यही रेडियो है जो शंकराचार्य पहाड़ी की चोटी से मुसीबत में फंसे लोगों का संपर्क सूत्र बनकर सूचनाएं देता रहा। शंकराचार्य पहाड़ी से पूरा शहर डूबा…

शिक्षक दिवस पर सिर्फ रस्म अदायगी नहीं, दृढ़ संकल्प चाहिए

  यूं तो रस्म अदायगी के लिए हम हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाते हैं और इसी बहाने पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ राधा कृष्णन को भी याद कर लेते हैं। लेकिन, सच पूछें तो आधुनिक दौर में शिक्षा के वास्तविक उद्देश्य से हम कोसों दूर निकल चुके हैं। किसी को अपने व्यवसायिक जीवन…

ऩई सरकार से देश भर के मदरसों को उम्मीदें

आखिर किसी ने सोचा है कि आखिर क्यों अब मदरसों से इंजीनियर नहीं निकल पा रहे हैं? आखिर क्यों मुस्लिम बच्चे हाईस्कूल या इंटरमीडिएट के बाद आगे की पढ़ाई अधूरी ही छोड़ रहे हैं? हाफिज, मुफ्ती, मौलाना बनने के लिए मदरसों में 18 घंटे पढ़ने वाला छात्र, क्यों नहीं सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी के…

झमट्से गट्सल पूरे अरुणाचल के लिए प्रेरणास्रोत

लूमला- एक ऐसा छोटा सा गांव जो स्थित है उगते सूर्य का पर्वतों वाला प्रदेश यानी अरुणाचल प्रदेश जो भूटान और तिब्बत की सीमाओं से घिरा है। यहां पहुंचने के लिए जिला मुख्यालय त्वांग से करीब एक घंटे का सफर तय करना पड़ता है। गौरतलब है कि अगर आप अपने अंतर्राष्ट्रीय रोमिंग वाले फोन के…

मोबाइल दिला सकती है आदिवासी सूरों को पहचान

अगर भारत को भाषाओं की धरोहर का खजाना कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति न होगी। विश्व के नक्शे पर शायद भारत ही एक ऐसा देश है जहां हर कोस पर भाषा में अलग रंगत, अलग अंदाज नज़र आता है, उनमें से एक है भाषा गोंडी। 2011 जनगणना में पाया गया कि देश में करीब 30…

मोबाइल पर स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा, सशक्तिकरण का कारगर हथियार

1950 में इंटरनेट की शुरुआत हुई तो इंटरनेट की दुनिया में क्रांति आते-आते चार दशकों का वक्त लग गया। मगर जब क्रांति आई तो इसका सकारात्मक असर पूरी दुनिया पर नज़र आया। जिसके चलते संचार के क्षेत्र में भी अप्रत्याशित बदलाव हमें देखने को मिले। एक क्लिक पर आपके हाथ विश्व की जानकारियों, संस्कृतियों का…

भारत के गांवों को भी चाहिए ‘गुईफाई डॉट नेट’

मार्शल मैकलुहान ने ग्लोबल विलेज की जब धारणा पेश की तो ज्यादातर विचारकों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया । लेकिन, आज सारी दुनिया में ग्लोबल विलेज की धारणा का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। हालांकि, अबतक बतौर ग्लोबल विलेज पूरी दुनिया को बांधने का काम, अगर किसी ने किया है तो वो है…

संपर्क सेतू – स्वस्थ गांव और स्वस्थ देश की अचूक कड़ी

आज से ठीक 3 साल पहले 2011 के जनवरी महीने में ब्रिटेन की मशहूर विज्ञान पत्रिका ‘लैंसेट’ की रिपोर्ट छपी थी। जिसमें कहा गया था कि अगर भारत ने अपनी तेज़ी से बढ़ती आबादी के स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया तो देश का आर्थिक विकास ख़तरे में पड़ सकता है। रिपोर्ट में ये भी कहा…